जीवन परिचय
संतमूर्ति श्री उमेश जी महाराज
श्री उमेश जी महाराज का जन्म 01 मार्च 1968 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के बैरमपुर गांव में हुआ। आपकी माता जी का नाम श्रीमती शांति देवी और पिता जी का नाम श्री बालक राम पाठक है।
श्री उमेश जी महाराज जी संत परंपरा के अनुयायी और प्रतिष्ठित संतो में से एक हैं। आप श्री मधुमेश धाम नैमिषारण्य के संस्थापक हैं। अपनी वाणी के माध्यम से आपने लाखों लोगों को आध्यात्मिकता के मार्ग पर प्रेरित किया।
श्री राम कथा एवं भागवत कथा वाचक
श्री उमेश जी महाराज को श्री राम कथा और श्रीमद्भागवत कथा के वाचन में अद्वितीय स्थान प्राप्त है। आपकी कथाओं में प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण के दिव्य चरित्र का वर्णन ऐसा है कि श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उनकी कथाएं न केवल भक्ति की भावना जागृत करती हैं, बल्कि लोगों को धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
सदुपदेशों का प्रभाव
श्री उमेश जी महाराज के सदुपदेशों से प्रेरित होकर लाखों लोगों ने अपने दुर्व्यसनों को त्याग कर सन्मार्ग पर चलना आरंभ किया। आपके प्रवचन समाज में भक्ति, मानवता और नैतिक मूल्यों का प्रचार करते हैं।
मुख्य उद्देश्य
आपका उद्देश्य धर्म, भक्ति और संस्कारों के माध्यम से समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जाना है। श्री उमेश जी महाराज आज भी अपने उपदेशों और धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को प्रेरणा देते रहते हैं।
“संतमूर्ति श्री उमेश जी महाराज” ने न केवल अध्यात्म की राह दिखाई, बल्कि समाज में धर्म और आध्यात्मिकता के प्रकाश को फैलाया।